Chandrayaan 3 का रोवर सिर्फ 14 दिन ही क्यों काम करेगा || Power problem या कोई बड़ी वजह ||

Chandrayaan 3

दोस्तों हाल ही में भारत ने Chandrayaan 3 की मदद से अपना चांद पर अपने लैंडर को उतार कर इतिहास रच दिया है लैंडर के साथ-साथ भारत के Chandrayaan 3 में रोवर भी था और काफी सारे, कोई भी उपकरण भी हमें मौजूद था, जिनकी मदद से चांद के साथ का परीक्षण किया जा सकता है वैज्ञानिकों और इसरो के लिए ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है

Chandrayaan 3  a big acheivement for india

चंद्रयान 3 भारत के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि जब 2019 में हमारा चंद्रयान 2 फेल हुआ था तब सभी देशो ने हमारी कमियां निकाली कुछ ने मजाक भी उड़ाया था ये उपलब्धि उन सभी देशों और लोगों के लिए एक करारा जवाब है. Chandrayaan 3 को चाँद पर पंहुचा कर न सिर्फ इसरो ने भारत को गौरवान्वित किया है बल्कि उन सभी देशो और लोगों को ये सन्देश भी दिया है की ये नया भारत है और ये भारत कभी हार नहीं मानता। क्योंकि इसके साथ-साथ भारत विश्व का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है

इसके साथ ही भारत ने अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करवा दिया है, क्योंकि सबसे कम बजट में चांद पर, अपने मिशन भेजने में भारत का ISRO कामयाब हो गया है, क्योंकि भारत ने सभी दूसरे देशों के मुकाबलों के साथ भी कम दाम में चांद पर, अपना मिशन भेजा है, वो भी बस लगभग 650 करोड़ रुपये की लागत से।

Chandrayaan 3
Chandrayaan 3


अगर बात करें रूस की जिसका लूना 25 दुर्भाग्य वश चांद पर नहीं उतर सका तो उसका बजट है लगभग 1600 करोड़ का , अगर बात करें अमेरिका की तो उसके अपोलो मिशन का बजट जाता है लगभग 4,13,54,70,000 रुपये तक जो एक बहुत बड़ी रकम होगी है अगर आज के हिसाब से देखा जाए तो

हालांकी वो बात अलग है कि अमेरिका ने अपने इस मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों को भी चांद पर भेजा था ,अगर इस हिसाब से भी हिसाब लगाया जाए तो अगर भारत कोई ऐसा मिशन करता है तो फिर भी भारत का बजट अमेरिका से काफी कम होने वाला है

चलिए अब बात करते हैं अपने Chandrayaan 3के बारे में तो भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बताया है कि भारत का चंद्रयान 3 जिस रोवर को चांद पर ले गया है वो रोवर सिर्फ और सिर्फ 14 से 16 दिनों तक ही चांद पर काम करेगा।
अब आप सभी के मन में ये बात जरूर आ रही होगी कि आखिर इतना पैसा खर्च करने के बाद भी Chadrayaan 3 सिर्फ 15 दिन तक ही काम क्यों करेगा हमारा रोवर ?

Chandrayaan 3
Chandrayaan 3


तो इसका जवाब बिल्कुल साफ है हमारा Chandrayaan 3 चांद के जिस हिस्से में उतरा है उधर सिर्फ 14 चंद्र दिनों के लिए ही सूर्य की रोशनी आती है और क्योंकि प्रज्ञान रोवर का मुख्य ऊर्जा स्रोत सौर ऊर्जा है तो जब 14 दिनों के बाद चांद पर पूरी तरह से सूर्य की रोशनी ही नहीं पड़ेगी तो वहां की रात में तपमान लगभग -208 डिग्री तक पहुंच जाता है और इतने कम तपमान में रोवर का काम करते रहना बहुत मुश्किल है

क्योंकि इस घाटे हुए तपमान की वजह से बैटरी भी ज्यादा खर्च होगी और दोबारा रिचार्ज नहीं हो पाने की वजह से बैटरी ख़त्म भी हो सकती है और अगर एक बार बैटरी खत्म हो जाती है तो 99% संभावना है कि अगली सुबह होने तक पूरा का पूरा यंत्र यानि कि प्रज्ञान रोवर और उसमें लगे सभी उपकरण भी खराब हो जाएंगे।


इसलिए हम चाह कर भी Chandrayaan 3 के रोवर प्रज्ञान को वापस से पुनर्जीवित नहीं कर पाएंगे लेकिन आपको ये सुनने में भी आया होगा कि रूस द्वार भेजा गया लूना 25 पूरे 1 साल तक चांद के दक्षिणी पोल पर काम कर सकता है तो भारत का रोवर क्यों नहीं कर सकता है?

जबसे हमें इस बारे में जानकारी हुयी तभी से हमारे मन भी यह सवाल लगातार उठ रहा था की क्यों सिर्फ 14 दिन ही प्रज्ञान चाँद पर काम कर पाएंगे जबकि बाकी ROVER तो कई दिनों तक काम कर सकते हैं?

Chandrayaan 3
Chandrayaan 3


तो इसका जवाब ये है कि लूना 25 का जो रोवर था उसमें प्लूटोनियम की मदद से रोवर को ठंड के मौसम में गर्मी का संचार किया जाता था और वो ठंढा नहीं पड़ता , जिसकी वजह से लूना 25 का रोवर अपनी सभी ऊर्जा की आवश्यकताओं को दिन में सौर ऊर्जा से और रात के समय बैटरी से पूरा कर सकता है

और साथ ही क्युकी उसके पास चाँद की खतरनाक रात की ठंढ से बचने के लिए उपाय साथ में रहेगा तो उसपर उस भीषण ठंढ का भी कोई असर नहीं पड़ेगा और लूना 25 का रोवर पूरे 1 साल तक या उससे भी ज्यादा काम कर सकता था.

Chadrayaan 3

पर अच्छी खबर यह है की कुछ जानकारियों के अनुसार भारत भी इस तकनीक पर काम कर रहा है जिससे हमारे आने वाले सभी मिशन को और भी ज्यादा मजबूती मिल पाएगी और भारत की विश्व में सबसे अलग और सभ्य पहचान बन जायेगी। Chadrayaan 3

चाँद पर अपने देश के झंडे को लहराते हुए देखना भी बड़े ही गर्व की बात है। जय हिन्द

Chandrayaan 3
Chandrayaan 3

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