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Dinosaur पृथ्वी पर पहले इंसान थे? 8 शक्तिशाली कारण , Powerful theory of evolution

Dinosaur पृथ्वी पर पहले इंसान थे?

हम सभी को किताबों आदि में यही सिखाया गया है। बताया गया है कि लाखों साल पहले जब धरती पर इंसानों का अस्तित्व नहीं था, तब धरती पर विशालकाय जानवरों का राज था, जिन्हें डायनासोर नाम दिया गया था। डायनासोर आकार में बहुत बड़े होते थे, कुछ डायनासोर आकार में बड़े होते थे और उड़ भी सकते थे और कुछ ऐसे भी थे जो पानी और ज़मीन दोनों जगह रह सकते थे।

Dinosaur reign on earth

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dinosaur उस समय धरती पर dinosaur का राज हुआ करता था लेकिन समय कभी एक जगह नहीं रुकता।
समय बीतते देर नहीं लगती और एक समय ऐसा आया जब पृथ्वी के ऊपर एक धूमकेतु की टक्कर हुई जिससे उत्पन्न ऊर्जा और उससे हुई तबाही के कारण डायनासोर की सभी प्रजातियाँ नष्ट हो गईं। , जो उस समय पृथ्वी पर राज कर रहे थे। कर रहे थे अब वे जड़ सहित समाप्त हो गये

Dianosaur end from earth


लेकिन dinosaur के विलुप्त होने पर अलग-अलग वैज्ञानिकों की अलग-अलग राय है। कुछ लोग कहते हैं कि डायनासोर का विनाश पृथ्वी से टकराने वाले धूमकेतु के कारण हुआ था। जबकि कोई कहता है कि धरती पर ज्वालामुखी फूटे थे जिससे उत्पन्न गैस और गर्मी को डायनासोर सहन नहीं कर सके और उनकी मृत्यु हो गई।

कुछ वैज्ञानिकों का अपना एक अलग ही साहस है, उनका कहना है कि जो डायनासोर पानी में रहा करते थे, वे शायद आज भी जीवित हैं, लेकिन मैं उन्हें देख नहीं सका क्योंकि वे समुद्र की इतनी गहराई में हैं कि आज तक इंसान उन्हें नहीं देख पाया है। जी हां दोस्तों आपने सही पढ़ा। वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि पानी में रहने वाले डायनासोर आज भी जीवित हैं और वे समुद्र की गहराई में रहते हैं, लेकिन यह दवा कितनी सच है इसके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है। प्राप्त किया हुआ

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Time to time changes

लेकिन ये सब जानने के बावजूद हम सिर्फ अनुमान ही लगाते हैं कि ऐसा हुआ होगा जबकि हकीकत क्या है ये हम सभी नहीं जानते. हम यह भी नहीं जानते कि क्या सच में डायनासोर थे या फिर जो कंकाल हमें मिले वो हमें कुछ और बता रहे हैं और हम कुछ और ही समझ रहे हैं। ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि क्या आज का इंसान उन्हें डायनासोर जैसा दिखता था यानी क्या उस समय के इंसानों को लगता था कि हम डायनासोर हैं?


दोस्तों यह सवाल सुनने में काफी अजीब लगता है लेकिन यह एक संभावना जरूर है। जिस तरह डार्विन की विकासवाद की थ्योरी पूरी दुनिया में मानी जाती है और चर्चा का विषय बनी रहती है, जिसमें डार्विन ने बताया है कि इंसान बंदर से इंसान कैसे बने।

Darvins theory of evolution


डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को समझने के लिए आपके लिए एक बात जानना जरूरी है कि डार्विन ने कहा है कि आज हम जिन इंसानों को देखते हैं वे हमेशा से ऐसे नहीं थे। शुरुआत में हम बंदर थे या आप कह सकते हैं कि चिंपैंजी, हम उनके जैसे ही थे। लेकिन धीरे-धीरे जैसे-जैसे समय बीतता गया, विकास होता गया और विकास की प्रक्रिया में कई मानव प्रजातियाँ बनीं, जिनमें से कई प्रजातियाँ समय पर ध्यान न देने के कारण विलुप्त हो गईं,

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लेकिन एक हमारी अपनी प्रजाति थी, यानी होमो। सेपियन्स की एक ऐसी प्रजाति थी जिसने समय के साथ खुद को ढाला और समय के साथ विकसित होती गई और आज हमें ऐसा रूप मिल गया है। डार्विन की कहानी मनुष्य के इतिहास के बारे में बात करती है, लेकिन सवाल उठता है कि अगर मनुष्य का इतिहास ऐसा रहा है, तो भविष्य क्या होगा? क्या मनुष्य का शरीर इतिहास की तरह आगे भी विकसित होगा? क्या मनुष्य का शरीर और विकसित होगा? यदि कुछ और अंग जोड़ दिए जाएं तो क्या मानव शरीर अलग दिखेगा या मानव शरीर में कोई अन्य परिवर्तन होंगे?

जिस तरह डार्लिंग के सिद्धांत के अनुसार पहले इंसान बंदर थे, उसी तरह यह भी संभावना है कि जिसे हम डायनासोर कह रहे हैं, वह उस समय की मानव प्रजाति थी, लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि वह प्रजाति आज की मानव प्रजाति से बिल्कुल अलग थी, उनका आकार भी बड़े थे, उनका शरीर भी बड़ा था और उनकी शारीरिक संरचना भी काफी अलग थी

आइए जानते हैं कि क्या यह संभव है कि आज की मानव जाति का पहला डायनासोर था।

अगर हम आज के विज्ञान पर विश्वास करें तो वह कहता है कि डायनासोर और इंसानों के बीच कोई संबंध नहीं है, इंसान कभी भी डायनासोर से विकसित नहीं हुआ, लेकिन हमारा विज्ञान यह नहीं कहता कि इंसान डायनासोर से विकसित हुआ। वहीं, हमारा अपना विज्ञान भी हमें बताता है कि यह संभव है कि आज हम जिन पक्षियों को देखते हैं उनमें से कुछ डायनासोर से विकसित हुए हैं या वे किसी तरह डायनासोर की प्रजाति से संबंधित हैं। हुए हैं

dinosaur
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जो तस्वीर हमने नीचे दिखाई है वह एक आंख की मदद से बनाई गई है जो दिखाती है कि अगर डायनासोर भी हमारी तरह इंसान होते तो कैसे दिखते
आप इस तस्वीर में देख सकते हैं कि अगर चेहरे को हटा दिया जाए तो पूरा शरीर इंसान जैसा दिखता है।

जिस तरह से डायनासोर के कंकाल मिले हैं उससे वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया है कि डायनासोर बहुत बड़े और विशालकाय होते थे और किसी भी छोटे जानवर या अन्य प्रजाति में उनसे लड़ने या मुकाबला करने की हिम्मत नहीं होती थी। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि उस समय पृथ्वी पर डायनासोर की कई प्रजातियों का राज था, जिनमें से कुछ उड़ती थीं और कुछ पानी में तैर भी सकती थीं। वैज्ञानिकों ने डायनासोर की अलग-अलग प्रजातियों को अलग-अलग नाम भी दिए हैं।

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